जीवन की रस्मों का फ़ितूर होना है। डोर से जोड़के कभी न दूर होना है। चलन निभ जाए बस हम साया बन! छूकर तुझे मुझको कोहिनूर होना है। सुनो! अब तुम्हें मेरा गुरूर होना है। मुझे तेरे रुख़सार का नूर होना है। है संग हमारा दीया और बाती सा! प्रेम की लौ से ही अंधेरा दूर होना है। तेरे इश्क़ में फिर मुझे मशहूर होना है। मिसाल बनके वफ़ा में मग़रूर होना है। तुमसे जोड़ कर सात जन्मों का साथ! बस मुझे तेरे माथे का सिंदूर होना है। 🎀 Challenge-183 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। सिंदूर पर अपनी रचना लिखिए। 😊 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है। 🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह के नियम एवं निर्देश अवश्य पढ़ लें। बाक़ी सभी ने हमारी ही नकल की है। 😊