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तरक्की उसे लिपट गई.. जो उम्र और आग को दीवार बनाता

तरक्की उसे लिपट गई..
जो उम्र और आग को
दीवार बनाता गया..
भीड़ से अपने आपको
रौंदता हुआ आगे निकल गया..
जो ठहर गया वो समन्दर बन गया
जो फिसल गया रेत का सहरा हो गया
फिर जो बन गया वो तुम्हारा शहर बन गया...

©Apna Timezone #जेब

#जेब

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