Nojoto: Largest Storytelling Platform

रोज़ रोज़ तुम रूठो, रोज़ रोज़ मना लूँ.. राहत का शे

रोज़ रोज़ तुम रूठो, रोज़ रोज़ मना लूँ..
राहत का शेर समझा है क्या ?

होंठो से लगाऊं तो वाह..चुभ जाऊँ तो आह..
गुलाब का पेड़ समझा है क्या ?

कात लेती हो मुहब्बत.. सूता सूता..रूह से मेरी
गड़ेरिये का भेड़ समझा है क्या?
krmannu3171

Kr. Mannu

New Creator

रोज़ रोज़ तुम रूठो, रोज़ रोज़ मना लूँ.. राहत का शेर समझा है क्या ? होंठो से लगाऊं तो वाह..चुभ जाऊँ तो आह.. गुलाब का पेड़ समझा है क्या ? कात लेती हो मुहब्बत.. सूता सूता..रूह से मेरी गड़ेरिये का भेड़ समझा है क्या? #मन्नू

50 Views