जब दुनिया में हाहाकार हुआ, फिर चारों ओर चित्कार हुआ, जब कांप उठी ये सारी धरती, फिर अंबर भी लाचार हुआ, तब भोलेनाथ ने किया उपाय, जग मे चारण को दिया बिठाय, संगर सुत महाराज भागीरथ, जब धरा पर गंग ले आए, तब माँ की शरण से दूर यहाँ, चारण संग चले आए, पहला वास किया हिमालय, बोले भोले की जय-जय, फिर तेलंग देश किया आबाद, और पाप से किया आजाद, फिर आए वो धरा गुजरात, जहाँ अनोखी इनकी बात, फिर वहाँ गढवी कहलाए, राजपूत के मन को भाए, फिर आए हम राजस्थान, हमने बढाया इसका मान, जन्मी शक्ति आवड़ करनल, इन्द्र, देवल, लुंग मां जय जगदम्ब, जग में चारों ओर बढ़ाया, मान चारण का आपने अम्ब, सत्य वचन और हरी सुमिरन, हैं जग में चारण की पहचान, कहे ये देवल स्वरूप दान, ऐसी मेरी जात महान। 🙏 चारण एक महान जाति