जिन्दगी का सफ़र मुसलसल चलता रहा, मैं स्टेशन दर स्टेशन बस बदलता रहा,, खला को जाती हैं तमाम ख्वाहिशें, जब तक पता न था पुरजोर चलता रहा,, ©चंद #mountain #Dranupamsingh ख़ला= खालीपन, मुसलसल= लगातार