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जहाँ जाय घटि जात पाप अरु फूटत सकल बिपति कै गगरी।

जहाँ जाय घटि जात पाप अरु फूटत
 सकल बिपति कै गगरी। 
मुक्ति जिन पद पावन कों तरसे दिन 
रैनि  रहें  नित  झगरी। 
द्वारे आसन अंजनि सुत को हरिहहिं 
पीर जगत की सिगरी। 
सुख धाम सदा सिय राम बसैं मोहित 
गुनखानि अयोध्या नगरी।।

©Rohit Sharma #### सवैया ####

#### सवैया ####

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