मां क्या कहूं तेरे बारे में.... मेरे शब्दों के समन्दर में, एक भी शब्द ऐसा भी है जिससे मैं तुझे परिभाषित कर पाऊ, तेरा मेरे लिए उस चिंता को, उस फिकर को परिभाषित कर पाऊ, बस इतना कहूंगी की, तू नितांत मम्मत्व की सागर है, जो अपने मम्मत्व रूपी अमृत, से हमे सदैव सींचती रहती है...... मां का प्यार एक अथाह सागर है, जो कभी कम नही होता!!