मन को बदल ले,, अहसास होता है तो ,, अब तो तू, अपनी खुशियों की चाबी को ढूंढ कर,, सुनिश्चित ही करले,, बचपना नहीं रहा अब ,, कि तू किसी के गोद में बैठकर,, गलछर्रें उङायेगा,,, अरे बीत गया वो दौर जो तूझे बिना, मेहनत व कर्मों के तेरा ख्याल ही पूरा हो जाएगा,, तो फिर साफ करले,आज ,, अपने ईरादें और रास्ते को भी तू,, कि,, मर-मर के ,घूट-घूट के ही जीना है,, या फिर, मर के भी तूझे सदा के लिए,, जिन्दा ही रहना है,,। ©Captain Priyanshu #bateinhakikatzindagiki jitendra karnawat 0530@radhya R K Mishra " सूर्य "