अकेला सा इक लम्हा हम कल तक तो तुम साथ थी बिना मिले ही क्या बात थी अकेला सा इक लम्हा हम अब खुद में तन्हा तन्हा हम ! पूरी कविता यहाँ पढ़ें खुद में तन्हा तन्हा मैं अकेला सा इक लम्हा मैं कल तक तुम जब साथ थी बिना मिले क्या बात थी अब अकेला सा इक लम्हा मैं खुद में तन्हा तन्हा मैं!