धीरिका!हमारे प्यार के बदले हमें दुःख मिलता है।इसलिए नहीं कि हम प्यार करते हैं बल्कि इसलिए कि हम प्यार चाहते हैं।पलकें बंद कर आँसुओं को पीकर भारी होते कण्ठ को छुपाने के लिए "अंश" ने फ़ोन रख दिया।
हैल्लो! हैलो! करती धीरिका अधीर होकर अपने बिस्तर पे तकिए से मुह छुपाए निष्प्राण सी लेट गई।
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राजस्थान के एक छोटे से गाँव में अंश अपने परिवार के साथ रहता था। ग्रैजुएशन पूरी होने के साथ ही वह (आर.पी.एस.सी)एग्जाम की तैयारी करने के लिए भरतपुर में कोचिंग ले रहा था। कोचिंग से छुट्टी मिलते ही वह अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल जाता।