Nojoto: Largest Storytelling Platform

7 साल बीते मामा, क्या एक पल भी कमी है खली नहीं , ह

7 साल बीते मामा, क्या एक पल भी कमी है खली नहीं ,
हर त्योहार हर उत्सव पर , क्या दीप ये जबरन जली नहीं।।

निश्छल थे, मन साफ था उनका , शायद तभी ये दुनिया जची नहीं ।
ईश्वर ने बहाने बनाये कई, बस एक पर उनकी चली नहीं ।

आयी फिर एक तुफानी सुबह , जीसपे किसी की हुकूमत चली नहीं ,
ले गये प्रभु रौनक घर की , उनको रोयी अंखियाँ दिखी नहीं।।

सब रोए , तड़पे , बिलखते रहे , पर एक किसी की चली नहीं ,
रक्षाबंधन , भाई दूज की आस दोबारा रही नहीं ।।

कैसे भूलूँ मामा सब कुछ, वो बात किसी में है ही नहीं ,
दिखावे की दुनिया सब है , अपनापन कहीं दिखे भी नहीं।।

-दीपांशी श्रीवास्तव मामा
7 साल बीते मामा, क्या एक पल भी कमी है खली नहीं ,
हर त्योहार हर उत्सव पर , क्या दीप ये जबरन जली नहीं।।

निश्छल थे, मन साफ था उनका , शायद तभी ये दुनिया जची नहीं ।
ईश्वर ने बहाने बनाये कई, बस एक पर उनकी चली नहीं ।

आयी फिर एक तुफानी सुबह , जीसपे किसी की हुकूमत चली नहीं ,
ले गये प्रभु रौनक घर की , उनको रोयी अंखियाँ दिखी नहीं।।

सब रोए , तड़पे , बिलखते रहे , पर एक किसी की चली नहीं ,
रक्षाबंधन , भाई दूज की आस दोबारा रही नहीं ।।

कैसे भूलूँ मामा सब कुछ, वो बात किसी में है ही नहीं ,
दिखावे की दुनिया सब है , अपनापन कहीं दिखे भी नहीं।।

-दीपांशी श्रीवास्तव मामा