किसी को गाली देना, अभद्र भाषा का प्रयोग करना, अपने द्वारा किये गए 100 धर्मो को नष्ट करने के बराबर है। इसका मतलब अभद्र भाषा भी कर्म का ही एक रूप है , अगर स्वयं द्वारा धर्म न किया जाये तो मीठी वाणी से भी हम भगवान एवं मोक्ष की प्राप्ति कर सकते है। - भगवत गीता !! भगवत गीता