पढ लेते थे खामोशी.. अल्फाजों से पेहेले.. संभल लेते थे.. दिल को.. बिखरने से पेहले.. यूँ ना कभी मेहसुँस हुआ.. तेरा दूर जाना.. नजदिकींओं की किमत.. अब समजने लगे है.. ©अर्चू.. #खामोशी