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टूटती बिखरती जिंदगी में एक उम्मीद की किरन जगमगाई,,

टूटती बिखरती जिंदगी में एक उम्मीद की किरन जगमगाई,,,,
जैसे अंधेरे में जुगनू की रोशनी से टेढ़ी-मेढ़ी राह दिख आई,,,

तारों की रोशनी में अंधेरी अकेली रात
कट जाए,,,
सुनसान रास्तों में कोई हमनवा मिल जाए,,,

हर किसी को गम पि गया एक उम्र तक,,,
जैसे मासूमियत से भरा बचपना घुटनों में 
रेंग कर ख्वाब बन आंखों में आ जाए,,,,

उधेड़बुन में जिंदगी कट गई है,,,
मुकम्मल जहां की आरजू
तितली जैसी हो गई है,,,,

छूने को लपकते हैं और दूर चली जाती है,,, जो रह जाती है अधूरी वही तृष्णा है,,,
मृग ढूंढे जिसको वन वन कस्तूरी 
कुंडली में बसा वही कृष्णा है,,,
प्यास कभी बुझती नहीं,, आकांक्षाएं तड़पाती हैं,
ज्वाला बन लहू रग रग में उछलता है,, कुछ कर जाने को ,,,,
कौन थामेगा इस सुनामी को,,,,,
टूटती बिखरती जिंदगी में एक उम्मीद की किरन जगमगाई,,,,
जैसे अंधेरे में जुगनू की रोशनी से टेढ़ी-मेढ़ी राह दिख आई,,,

तारों की रोशनी में अंधेरी अकेली रात
कट जाए,,,
सुनसान रास्तों में कोई हमनवा मिल जाए,,,

हर किसी को गम पि गया एक उम्र तक,,,
जैसे मासूमियत से भरा बचपना घुटनों में 
रेंग कर ख्वाब बन आंखों में आ जाए,,,,

उधेड़बुन में जिंदगी कट गई है,,,
मुकम्मल जहां की आरजू
तितली जैसी हो गई है,,,,

छूने को लपकते हैं और दूर चली जाती है,,, जो रह जाती है अधूरी वही तृष्णा है,,,
मृग ढूंढे जिसको वन वन कस्तूरी 
कुंडली में बसा वही कृष्णा है,,,
प्यास कभी बुझती नहीं,, आकांक्षाएं तड़पाती हैं,
ज्वाला बन लहू रग रग में उछलता है,, कुछ कर जाने को ,,,,
कौन थामेगा इस सुनामी को,,,,,
vandana6771

Vandana

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