Written by Harshita ✍️ #Jazzbaat Eye opener for society विक्टिम कार्ड और नहीं आज तक ये एक्टिंग ही थी या सच कहूं दूसरो को खुश करने के लिए बस अपनी दिल हार रही थी। आज सपना अपना पूरा सपना तोड़ चुकी थी। हार हाल में जवाब मांगा पर पीड़िता सी जिन्दगी को पूरे घाव भरे जिस्म को छुपाती रही। कैप्शन जोड़ें......... ©️ जज़्बात ए हर्षिता Eye opener for society विक्टिम कार्ड और नहीं आज तक ये एक्टिंग ही थी या सच कहूं दूसरो को खुश करने के लिए बस अपनी दिल हार रही थी। आज सपना अपना पूरा सपना तोड़ चुकी थी। हार हाल में जवाब मांगा पर पीड़िता सी जिन्दगी को पूरे घाव भरे जिस्म को छुपाती रही। सिर्फ शतरंज सी ज़िन्दगी को उस कभी घर के हर सदाये को वज़ीर , घोड़ा , राजा रानी बन कर उस सपना को एक छोटा सा प्यादा ही समझते रहे। हमारे घर की इज़्ज़त को दाव पर कैसे लगाएगी, है तो वो भी बेटी अपने घर वालों की बात को कैसे टालेगी हर बार यहीं ताने सुन सुन कर सब सहती रही। अब वो भी बेटी की मां बनने वाली थी , अब वो हर घाव का हिसाब रखने लगी थी, ताकि उसकी बेटी ये विस्टिम कार्ड की कहानी में शामिल न हो जाएं। जिंदगी कभी आसान नहीं होती ये सब बातें उसके जहन में हर पल खरोचती रहती थी की मेरी बेटी के साथ क्या होगा , इतने सालों में क्या से क्या किया अपनी पहचान अपनी इज्ज़त सबकी इज्जत बबनाने के लिए पर आज तक भी सिवाए तानों और लछन के कुछ हासिल नहीं हुआ।