पुरानी क़िताबों की तरह , अपने अरमान सँजोए रक्खा हूँ, माना किस्मत में तू ना सही, फिर भी यादों को तेरे हमसफर बना रक्खा हूँ। -रुपेश शर्मा पुरानी किताबों की तरह....