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दोस्ती की मिसाल (लघुकथा) कैप्शन में पढ़े👇 दोस्ती क

दोस्ती की मिसाल (लघुकथा)
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यह कहानी भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी है,जब
बटुकेश्वर दत्त 1928 में गठित हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सदस्य बने,यहीं पर उनकी भगत सिंह से मुलाकात हुई और यहाँ उन्होंने बम बनाना सीखा।
दोनों क्रांतिकारियों में दोस्ती कितनी गहरी थी इसकी एक मिसाल हुसैनीवाला में देखने को मिलती है....
बात 1964 की है जब बटुकेश्वर दत्त बीमार पड़े और पटना के सरकारी अस्पताल में उन्हें कोई पूछने वाला नहीं था तब जानकारी मिलने पर पंजाब सरकार ने बिहार सरकार को एक हजार रुपए का चेक भेजकर वहां के मुख्यमंत्री केबी सहाय को लिखा कि यदि पटना में बटुकेश्वर दत्त का ईलाज नहीं हो सकता तो राज्य सरकार दिल्ली या चंडीगढ़ में उनके इलाज का खर्च उठाने को तैयार है, इस पर बिहार सरकार हरकत में आई और दत्त का इलाज शुरू किया गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. 22 नवंबर 1964 को उन्हें दिल्ली लाया गया और उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया।बाद में पता चला कि उनको कैंसर है और उनकी जिंदगी के कुछ ही दिन बाकी हैं कुछ समय बाद पंजाब के मुख्यमंत्री रामकिशन उनसे मिलने पहुंचे और छलछलाती आंखों के साथ बटुकेश्वर दत्त ने मुख्यमंत्री से कहा, 'मेरी यही अंतिम इच्छा है कि मेरा दाह संस्कार मेरे मित्र भगत सिंह की समाधि के बगल में किया जाए' 20 जुलाई
1965 की रात एक बजकर 50 मिनट पर वो यह दुनिया छोड़ चुके थे। बटुकेश्वर दत्त की अंतिम इच्छा को सम्मान देते हुए उनका अंतिम संस्कार भारत-पाक सीमा के करीब हुसैनीवाला में भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की समाधि के पास किया गया।
दोस्ती की मिसाल (लघुकथा)
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यह कहानी भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी है,जब
बटुकेश्वर दत्त 1928 में गठित हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सदस्य बने,यहीं पर उनकी भगत सिंह से मुलाकात हुई और यहाँ उन्होंने बम बनाना सीखा।
दोनों क्रांतिकारियों में दोस्ती कितनी गहरी थी इसकी एक मिसाल हुसैनीवाला में देखने को मिलती है....
बात 1964 की है जब बटुकेश्वर दत्त बीमार पड़े और पटना के सरकारी अस्पताल में उन्हें कोई पूछने वाला नहीं था तब जानकारी मिलने पर पंजाब सरकार ने बिहार सरकार को एक हजार रुपए का चेक भेजकर वहां के मुख्यमंत्री केबी सहाय को लिखा कि यदि पटना में बटुकेश्वर दत्त का ईलाज नहीं हो सकता तो राज्य सरकार दिल्ली या चंडीगढ़ में उनके इलाज का खर्च उठाने को तैयार है, इस पर बिहार सरकार हरकत में आई और दत्त का इलाज शुरू किया गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. 22 नवंबर 1964 को उन्हें दिल्ली लाया गया और उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया।बाद में पता चला कि उनको कैंसर है और उनकी जिंदगी के कुछ ही दिन बाकी हैं कुछ समय बाद पंजाब के मुख्यमंत्री रामकिशन उनसे मिलने पहुंचे और छलछलाती आंखों के साथ बटुकेश्वर दत्त ने मुख्यमंत्री से कहा, 'मेरी यही अंतिम इच्छा है कि मेरा दाह संस्कार मेरे मित्र भगत सिंह की समाधि के बगल में किया जाए' 20 जुलाई
1965 की रात एक बजकर 50 मिनट पर वो यह दुनिया छोड़ चुके थे। बटुकेश्वर दत्त की अंतिम इच्छा को सम्मान देते हुए उनका अंतिम संस्कार भारत-पाक सीमा के करीब हुसैनीवाला में भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की समाधि के पास किया गया।

दोस्ती की मिसाल (लघुकथा) कैप्शन में पढ़े👇 यह कहानी भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी है,जब बटुकेश्वर दत्त 1928 में गठित हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सदस्य बने,यहीं पर उनकी भगत सिंह से मुलाकात हुई और यहाँ उन्होंने बम बनाना सीखा। दोनों क्रांतिकारियों में दोस्ती कितनी गहरी थी इसकी एक मिसाल हुसैनीवाला में देखने को मिलती है.... बात 1964 की है जब बटुकेश्वर दत्त बीमार पड़े और पटना के सरकारी अस्पताल में उन्हें कोई पूछने वाला नहीं था तब जानकारी मिलने पर पंजाब सरकार ने बिहार सरकार को एक हजार रुपए का चेक भेजकर वहां के मुख्यमंत्री केबी सहाय को लिखा कि यदि पटना में बटुकेश्वर दत्त का ईलाज नहीं हो सकता तो राज्य सरकार दिल्ली या चंडीगढ़ में उनके इलाज का खर्च उठाने को तैयार है, इस पर बिहार सरकार हरकत में आई और दत्त का इलाज शुरू किया गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. 22 नवंबर 1964 को उन्हें दिल्ली लाया गया और उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया।बाद में पता चला कि उनको कैंसर है और उनकी जिंदगी के कुछ ही दिन बाकी हैं कुछ समय बाद पंजाब के मुख्यमंत्री रामकिशन उनसे मिलने पहुंचे और छलछलाती आंखों के साथ बटुकेश्वर दत्त ने मुख्यमंत्री से कहा, 'मेरी यही अंतिम इच्छा है कि मेरा दाह संस्कार मेरे मित्र भगत सिंह की समाधि के बगल में किया जाए' 20 जुलाई 1965 की रात एक बजकर 50 मिनट पर वो यह दुनिया छोड़ चुके थे। बटुकेश्वर दत्त की अंतिम इच्छा को सम्मान देते हुए उनका अंतिम संस्कार भारत-पाक सीमा के करीब हुसैनीवाला में भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की समाधि के पास किया गया। #yqbaba #yqdidi #yourquotedidi #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc20