टूटी हुई, बिखरी हुई वह मुझपर हँस रही है, जो मेरे होठों पर एक तलुए के बल खड़ी है मगर उसके बाल मेरी पीठ के नीचे दबे हुए हैं और मेरी पीठ को समय के बारीक तारों की तरह खुरच रहे हैं उसके एक चुम्बन की स्पष्ट परछाईं मुहर बनकर उसके तलुओं के ठप्पे से मेरे मुँह को कुचल चुकी है उसका सीना मुझको पीसकर बराबर कर चुका है। #टूटी हुई, बिखरी हुई #शमशेर #टूटी_हुई_बिखरी_हुई#शमशेर