एक दिन अचानक ही वैसे आ जाना तुम हाड़ कंपाती सर्दी में जैसे निकल आती है अचानक तेज-तेज धूप सर्द रात में जैसे चुपचाप रख जाए कोई कमरे में बोरसी की आग बरसात के बाद जैसे लौट आते हैं मुंडेर पर पक्षी लंबे प्रवास के बाद सहसा वापस आ जाते हैं प्रियजन जैसे रात को बिन बुलाए भी आ जाती है कभी-कभी आंखों में गहरी नींद जैसे बुढ़ापे में घुटने के दर्द से मिल जाय ज़रा देर की राहत जैसे सुबह की गहरी नींद में कानों में गूंज जाय अचानक दूर के किसी मंदिर की घंटी और फ़जर की अज़ान #life_lesson