मुझसे यूँ लगते हैं होंठ उस क़ातिल के सीने से खींच लेता ज़ख्म वो मेरे दिल के उसकी है एक फ़िक़्र की कोई शोर न हो सुर्ख गुलाब से खेलता वो होंठों को सील के एक नशा चढ़ता है मुझे उस से मिल के फिर देखितीं मुझे सारी नज़रें महफ़िल के कैसे बयान करूं उसकी रुखसती का ग़म मानो मुरझा गया कोई गुलाब थोड़ा खिल के मुझसे यूँ लगते हैं होंठ उस क़ातिल के #NojotoQuote #love #lust #hindierotixa #urduerotica #erotica #nojotohindi #nojotourdu #ghazal #nojotoerotica p.c: @petite_boheme