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वो मुकर्रर नहीं न पता है न जाने कौन सी गली में

वो मुकर्रर नहीं न पता है 
न जाने कौन सी गली में
  वो दिलरुबा है,
 हरे भरे मौसम में भी 
मायूसियत की सजा है
फिर भी मज़ा है,
यह भी जीवन जीने की
  एक अदा है।

©लेखक ओझा
  जीवन जीने की अदा है
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