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वैदिक मान्यताओं के अनुसार ही कोहरा में संयम की अवध

वैदिक मान्यताओं के अनुसार ही कोहरा में संयम की अवधारणा के साथ परमात्मा ने इस जगत में जड़ और चेतना दो प्रकार की सृष्टि की रचना की है माध्यम से जगत में सत्यम शिवम सुंदरम की स्थापना करना परमात्मा का मुख्य उद्देश्य था जीवो की सृष्टि से क्रम में उनके सवाल मंगल करने के लिए मनुष्य को वृद्धि विवेक अंकित पर जीवनों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है इसलिए पर मुझ पर अन्य प्राणियों की योग क्षेम का भारती था इसके साथ ही उसकी सरलता सिद्धांत का प्रतिपादन किया है कि मनुष्य के कर्म ही उसके सुख दुख का कारण बनेगी इसमें इसका कोई हस्तक्षेप नहीं होगा वह तटस्थ भाव से केवल साक्षी और दृष्टा रहेगा तभी भारतीय दर्शन और दाम शास्त्री की अवधारणा को मानते हैं इसलिए शास्त्र में ईश्वर सबित्र निभाकर निरूपित साक्षी दृष्टा कहा गया है गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि मनुष्य अपने कर्म करते हुए जीवन में समृद्धि को प्राप्त करता है यही ज्ञान योग और भक्ति योग का भी आधार है अति सुख दुख लाभ हानि और यश अपयश के हेतु स्वयं मनुष्य के कर्म है हाल ही के वर्षों में अनुभव किया गया है कि पूरी दुनिया में मैं ना केवल मानव जाति आपूर्ति अन्य जीव सहित संपूर्ण पर्यावरण के लिए संकट खड़ा हुआ है जियो की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है नदियां प्रदूषण का दंश झेल नहीं रही है दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरे में दो-चार हो रही हैं पर्यावरण संतुलन से पर्वत विश्वकप अदाओं से आम जीवन जीवन शास्त्र और है करुणा जैसी महामारी आदि दिन मानव जीवन को चुनौती दे रही है यह सब प्रकृति के कार्य में अवश्य मनुष्य की सोच का परिणाम है वस्तुत यह नए साल हमारे लिए कोई चुनौती भी लाते हैं और भूल सुधार के लिए नए अवसर भी हमें जीवन मात्र के कल्याण इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए यह सब साथ कर्म पथ पर अग्रसर हो

©Ek villain # मानव जीवन में कर्म फल का सिद्धांत

#HappyNewYear
वैदिक मान्यताओं के अनुसार ही कोहरा में संयम की अवधारणा के साथ परमात्मा ने इस जगत में जड़ और चेतना दो प्रकार की सृष्टि की रचना की है माध्यम से जगत में सत्यम शिवम सुंदरम की स्थापना करना परमात्मा का मुख्य उद्देश्य था जीवो की सृष्टि से क्रम में उनके सवाल मंगल करने के लिए मनुष्य को वृद्धि विवेक अंकित पर जीवनों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है इसलिए पर मुझ पर अन्य प्राणियों की योग क्षेम का भारती था इसके साथ ही उसकी सरलता सिद्धांत का प्रतिपादन किया है कि मनुष्य के कर्म ही उसके सुख दुख का कारण बनेगी इसमें इसका कोई हस्तक्षेप नहीं होगा वह तटस्थ भाव से केवल साक्षी और दृष्टा रहेगा तभी भारतीय दर्शन और दाम शास्त्री की अवधारणा को मानते हैं इसलिए शास्त्र में ईश्वर सबित्र निभाकर निरूपित साक्षी दृष्टा कहा गया है गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि मनुष्य अपने कर्म करते हुए जीवन में समृद्धि को प्राप्त करता है यही ज्ञान योग और भक्ति योग का भी आधार है अति सुख दुख लाभ हानि और यश अपयश के हेतु स्वयं मनुष्य के कर्म है हाल ही के वर्षों में अनुभव किया गया है कि पूरी दुनिया में मैं ना केवल मानव जाति आपूर्ति अन्य जीव सहित संपूर्ण पर्यावरण के लिए संकट खड़ा हुआ है जियो की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है नदियां प्रदूषण का दंश झेल नहीं रही है दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरे में दो-चार हो रही हैं पर्यावरण संतुलन से पर्वत विश्वकप अदाओं से आम जीवन जीवन शास्त्र और है करुणा जैसी महामारी आदि दिन मानव जीवन को चुनौती दे रही है यह सब प्रकृति के कार्य में अवश्य मनुष्य की सोच का परिणाम है वस्तुत यह नए साल हमारे लिए कोई चुनौती भी लाते हैं और भूल सुधार के लिए नए अवसर भी हमें जीवन मात्र के कल्याण इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए यह सब साथ कर्म पथ पर अग्रसर हो

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