काम की थकान से,बोझों को इंसान के ओढ़कर ये सुलाती है चादर है भैया चादर अलग अलग रंगों में आती है इसने संभाला है कितनो को कभी मोटे और पतलों को अरे चादर है भैया चादर ये सबको सुलाती है तारीफों में इसकी जितना कहुँ मैं कम लगता है तपती धूप में इसने दी है सबको छाया और ठंडी में इसने हमको ठंड से भी है बचाया कंकड़ मिट्टी से भरे अनाज को इसी में हमने ओसाया धुलकर हमने गेहूँ छत पर इसी पे है सुखाया होली आने पर पापड़ भी इस पर ही फैलाया गर्मी में मच्छर की दुनिया से इसी ने है बचाया अरे इंसान की खोजो में ये सबसे उपयोगी है बैठे इसकी शरण मे ना जाने कितने योगी है जवानी के आलिंगन में दो महबूबों को मिलवाया शर्माने पर चेहरा इसी में उसने छिपाया न जाने कितनी दुनिया मे लिखी गई गाथा पर इंसान की दुनिया का चादर से अलग सा है एक नाता तन्हाई में इसने न जाने कितनों के आँसू पोछें सोकर इस पर दुनिया ने है ख्वाब ऊंचे देखे ये चादर दुनिया मे सबसे प्यारी मुझको हो जाये जब गंदी ये तब पलट कर फिर तुम इसपर लेटो ऐसा करते करते जब बदत्तर हो जाये उसकी हालत धोकर फिर पूरी कर दो तुम उसकी चाहत ©Sarthak dev Meri Pyari Chadar #Bedsheet