मैं खिड़कियों की दुनिया तलाशने निकला था शायद फिर वो नादान परिंदा बनने निकला था जब खिड़कियों के पर्दों से झांकने लगा तब वक़्त की सलाखों से टकराने लगा ................................ इससे आगे की पंक्तियां आप लिखो