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मैं खिड़कियों की दुनिया तलाशने निकला था शायद फिर व

मैं खिड़कियों की दुनिया तलाशने निकला था
शायद फिर वो नादान परिंदा बनने निकला था
जब खिड़कियों के पर्दों से झांकने लगा 
तब वक़्त की सलाखों से टकराने लगा



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मैं खिड़कियों की दुनिया तलाशने निकला था
शायद फिर वो नादान परिंदा बनने निकला था
जब खिड़कियों के पर्दों से झांकने लगा 
तब वक़्त की सलाखों से टकराने लगा



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