इन सियासत दानों का भी कोई ठहराव नहीं, कभी उस दल से तो कभी उस दल में मिल जाते , इनका भी कोई जवाब नहीं, अंधेरों में शैतान भी, जिनसे पनाह मांगता है, मुनव्वर दिन में ,उन्हें नेता कहते हैं, आजकल हालत"ए"ईमान , अधजले जिस्म की मानिद है, यहां बेईमानी ही को, विजेता कहते हैं , विपक्ष में यह नशे कि खिलाफत में होते हैं , पक्ष में होते ही , इसके स्वागत में होते हैं , और क्रांतिकारी ,अदालत में होते हैं, गरीब अपनी, उसी हालत में रहते हैं , वहां औरत क्या बच सकती है, जहां शराब के लाइसेंस ,आम मिलते हों, शराबी बाप,पति ,भाई,की वजह से, इन औरतों के, सीने जलते हों, वहां क्या ,अमन कायम होगा?, जहां धर्म के नाम पर घर जलते हों , "जोगा " जो ये फिरते हैं, दूधिया पहरान में, जलाओ, ज़िंदा, इन्हे शमशान में, दफनाओं, ज़िंदा, इन्हे ,कब्रिस्तान में, देश की राजधानी ,का ये गोल परबत है जो, इसमें सब चोर हैं, नंगा करो इन्हे सारे जहान में, डालो इन ,दल्लों, को , ज़िंदान ( कैदखाना, या जेल) में "जोगा भागसरिया" ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI KAFIR ZOGA GULAM