सोचा नहीं था कभी दिन ऐसे भी बिताने होंगे जीना भी होगा जरूरी एहसान भी उतारने होंगे कोई पुराना दर्द भुलाने को नये दर्द जगाने होंगे मुस्कुराना भी होगा जरूरी आँसू भी छिपाने होंगे हाथों को उठाऊं दुआ में या सजदे पे सिर झुका लूँ रूठी किस्मत को मनाने के नये तरीके आज़माने होंगे अब कोई क्या सिखाएगा जीने का हमें सलीका गिरना भी होगा जरूरी, नये तजुर्बे भी पाने होंगे... सोचने से हुआ भी क्या है! सोचने से होगा भी क्या! #सोचनेसे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi