मेरे गांव की दुर्गा पूजा। दुर्गा पूजा अत्यंत पवित्र और अध्यात्मिक भावनाओं से ओत प्रोत मां भवानी का यह पर्व, मेरे गांव के लोगों के लिए जीवन के अमुल्य दिनों में से एक है । चाहे वो हरदिन सुबह उठकर हरश्रृंगार फुल चुनना हो या फिर बेलपत्र लाना हो या गंगाजल, वो हर एक कार्य संसार में उपस्थित हर भावनाओं से पवित्र और श्रद्धापूर्ण है । साल भर इस पर्व में गांव जाने की उम्मीद लगाना फिर किसी कारणवश गांव नहीं जा पाना भी किसी वियोग से कम नहीं है। शरीर १००० मील दुर है पर मन गांव में विचरण कर रहा है, यह सुन रहा है हर घर में होने वाला शंखनाद, दुर्गा शप्तशती का पाठ और दुर्गा क्षमा प्रार्थना । मन मां के कलश विसर्जन के समय , कलश के पीछे -२ चल रहा है । बोल दे दुर्गा महारानी की जय की उद्घघोषणा कर रहा है । मैं शरीर से उपस्थित नहीं हूं वहां और शायद आप भी नहीं हैं, पर मेरा मन विसर्जन के बाद होने वाले गोरलग्गी में भाग लेना चाहता है, बड़ों से आशीर्वाद लेना चाहता है और छोटों को प्यार देना चाहता है । जय भवानी । Happy Dussehra ©"विभर्षी" रंजेश सिंह Happy Dusshera #Dussehra