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( अनुशीर्षक ) रात को थोड़ा देर से सोइ,. कुछ नहीं

( अनुशीर्षक )    रात को थोड़ा देर से सोइ,. कुछ नहीं बस यूँ ही,..

 उँगलियाँ यूँ ही थिरक रहीं थी मोबाइल स्क्रीन पर के कहीं से तुम्हारा कुछ आ जाये,.दिल को सुकून मिले के हाँ तुम ठीक हो,.और इसी इंतज़ार में कब मेरी आँख लग गयी मुझे खुद कुछ पता न चला,. पर शुक्र मनाओ मैं सो गयी,. वरना गलती से तुम्हें जो मेरा प्रकोप झेलना पड़ता तुमसे बेहतर और कौन जानता होगा,..
   
      हंम,.. समझने लग गयी हूँ सब अब मैं,.. अब मैं उतनी बच्ची नहीं रही जितनी तुमने मुझे बना रखा था ,.

    दिसंबर की पहली सुबह है आज.. मैं ही नहीं ये खिड़की दरवाजे पर्दे वर्दे सब ठंड से ठिठुर रहें हैं,. खिड़की वाला शीशा ओंस कि बूंदों से पूरा भीगा पड़ा है,.. ये मनी प्लांट देखो तो इसके पत्ते में बैठी ये ओंस की बून्द,. कैसे झूले खा रही हवा के संग इसको भी क्या ठंड लग रही होगी,.चीड़ के पेड़ देखो एक बार शुरू होते हैं फिर इनका यह शोर खत्म ही ना होता,.
Shshshshhshhshhshhss.,...गर्मियों में गांव वाले कहते हैं कि ये प्राकृतिक पंखे हैं,. पर सर्दी में पंखों का यूँ बहना कहां तक जायज है, बोलो कहां तक जायज है,.. तभी कहती हूँ दुनिया के सारे दुःख मेरे हिस्से,. बस एक तुम मत आना,.
( अनुशीर्षक )    रात को थोड़ा देर से सोइ,. कुछ नहीं बस यूँ ही,..

 उँगलियाँ यूँ ही थिरक रहीं थी मोबाइल स्क्रीन पर के कहीं से तुम्हारा कुछ आ जाये,.दिल को सुकून मिले के हाँ तुम ठीक हो,.और इसी इंतज़ार में कब मेरी आँख लग गयी मुझे खुद कुछ पता न चला,. पर शुक्र मनाओ मैं सो गयी,. वरना गलती से तुम्हें जो मेरा प्रकोप झेलना पड़ता तुमसे बेहतर और कौन जानता होगा,..
   
      हंम,.. समझने लग गयी हूँ सब अब मैं,.. अब मैं उतनी बच्ची नहीं रही जितनी तुमने मुझे बना रखा था ,.

    दिसंबर की पहली सुबह है आज.. मैं ही नहीं ये खिड़की दरवाजे पर्दे वर्दे सब ठंड से ठिठुर रहें हैं,. खिड़की वाला शीशा ओंस कि बूंदों से पूरा भीगा पड़ा है,.. ये मनी प्लांट देखो तो इसके पत्ते में बैठी ये ओंस की बून्द,. कैसे झूले खा रही हवा के संग इसको भी क्या ठंड लग रही होगी,.चीड़ के पेड़ देखो एक बार शुरू होते हैं फिर इनका यह शोर खत्म ही ना होता,.
Shshshshhshhshhshhss.,...गर्मियों में गांव वाले कहते हैं कि ये प्राकृतिक पंखे हैं,. पर सर्दी में पंखों का यूँ बहना कहां तक जायज है, बोलो कहां तक जायज है,.. तभी कहती हूँ दुनिया के सारे दुःख मेरे हिस्से,. बस एक तुम मत आना,.
alpanabhardwaj6740

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