नारी शोषण आज कल नारी का शोषण, हद से बढ़ता जाता है, फिर भी उनकी रक्षा को, ना कोई आगे आता है । रोज सेवरे मिल – जूल कर, नेताजी संसद सजाते है, नारी शोषण घटाने का, ना कोई नुस्का लाते हैं। लोग कहते हैं, नारी शोषण, राम यूग से आया है, सीता हरन से रावण ने, नारी शोषण बनाया है । एक बात तुम मुजको समजाओ, ये तुमको किसने बतलाया है, क्या लंका में रावण ने कभी, सीता को हाथ लगाया हे ? लंका में एक पेड़ के नीचे, सीता अकेली रह पाती थी, ना किसी शेतान की छाया, उस तक कभी पहोंच पाती थी । आज कल तो दीन-दहाड़े, बलात्कार किया जाता है, ओर संसद एक नेता आकर, उस पर शोक जताता है। कहाँ हे वो जांसी की रानी, दुनिया जिस्से डरती थी, शूरवीरो की टोली में, वो नारी अकेलि लड़ती थी। कहाँ हे वो चारण कन्या, जो शेर के पीछे भागी थी, शेर को मार गिराने की, लगनी जिस्को लागी थी । -संजू जांगिड Nari Shoshan