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इस संगदिल जहाँ में, किसी से क्या ही उम्मीद करें..

 इस संगदिल जहाँ में,
किसी से क्या ही उम्मीद करें..!
क्यों सोच सोच कर,
हरपल यूँ ही हम मरें..!
बेकद्री करता है ज़माना उसी की,
जो दूसरों के दुःख हरे..!
न मिले हमसफ़र न मिली,
ज़िन्दगी एक वफ़ा वाली..!
दिल के मकाँ में ईंट पत्थर जैसे,
यादों के सहारे कब तक हम रहें..!
उनको खो देना ही अच्छा है,
जो ख़ुद को ख़ुदा बनाते रहें..!
इंसान हैं हम भी,
क्यों बनावटी ख़ुदा से डरें..!
एक जहाँ एक ही इंसान के सिवा,
क्यों न मन में अपने धरें..!
करें कर्म सदैव अच्छे बस,
इंसानियत को सर्वप्रथम करें..!

©SHIVA KANT
  #sangdiljahan