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त्याग कुछ सपनों की खातिर अपनों को छोड़ आए.. गाँव स

त्याग
कुछ सपनों की खातिर अपनों को छोड़ आए..
गाँव से दूर शहर चले आए..
यंहा आकर जाना जिंदगी का फलसफा...
के साहब आसमान की खातिर आशियाना छोड़ आए...
किससे कहे, कैसे कहे, क्या-क्या त्याग आए..
हम उम्र के छोटे, घर के बड़े है साहब, चंद ख्वाहिशों की खातिर... सीने पर रख पत्थर, 
माँ का आँचल तक छोड़ आए.
--प्रिया शर्मा

©priya sharma #त्याग
त्याग
कुछ सपनों की खातिर अपनों को छोड़ आए..
गाँव से दूर शहर चले आए..
यंहा आकर जाना जिंदगी का फलसफा...
के साहब आसमान की खातिर आशियाना छोड़ आए...
किससे कहे, कैसे कहे, क्या-क्या त्याग आए..
हम उम्र के छोटे, घर के बड़े है साहब, चंद ख्वाहिशों की खातिर... सीने पर रख पत्थर, 
माँ का आँचल तक छोड़ आए.
--प्रिया शर्मा

©priya sharma #त्याग
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priya sharma

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