जो तुझे लिखा था कभी याद आ गया मुझे अभी अपने मन की बात बस बतानी थी तुझे कांपते हाथों से थामे कलम ली लेकिन आखों में समंदर छलक कर यूँ मेरे शब्दों के चहरे ही धुंधला दिए दिल को संभालने की जिम्मेदारी में इक उम्र यूँ ही गुजार दी हमनें मुहब्बत का दर्द फना हो जाए इक खत लिखा था मैंने.... नमस्ते लेखकों! अप्रैल का महीना कविता लेखन महीना है| इस महीने में आप हमारे साथ कविता लेखन का अभ्यास करे। रोज़ एक कविता लिखने का संकल्प ले, अपनी लेखनी को सुधारे, और हमारे साथ अपनी अनोखी शैली को निखारे। हमारा आज का शब्द है खत | चलिये, एक कदम बढ़ाते है बेहतर लेखनी की ओर।