फ़रेबी हो गये रिश्तें सभी मतलब से पहचाने शहर के भीड़ में अक्सर अकेलेपन के सन्नाटे तरस जाते हंसे वर्षों खुशी पाले तमन्नाएं इनायत ज़िन्दगी पर कर खुदा तुमको ये समझाए ©Krishna Shrivastav(राज़) #LastNight