221 1221 1221 122 लाज़िम है ये मुझ पर भी कि अब तुझको भुला दूं। मुद्दत से जो दिल में है लगी आग बुझा दूं।। फिर से न धड़क उट्ठे करे फिर ये बगा़वत, इस दिल के मैं हर सू कोई दीवार उठा दूं। तन्हा ही सफ़र ज़िंदगी का तय करुं लेकिन, भूले से भी तुझको न कभी कोई सदा दूं। होठों से कभी कोई भी ना आह निकालूं, हर दर्द को सीने में ही उठते ही दबा दूं। #aliem #bhulana #zindgikasafar #urduhindi_poetry #urdupoetry #yqbhaijan #aah! #deewar