किसी के अंत की तो किसी की शुरुआत हो रही है, एक जो थी आत्मा भटकती हुई, जन्म नया लेकर के नया चोला ओढ़ रही है। अपनी भूलाकर के पुरानी हर याद को, नए सपनों की तरफ बढ रही है। जो मौत के आंचल से निकल कर, जिंदगी की सांसों में ढल रही है। देखो यार इस तरह मौत भी जिंदगी के गले मिल रही है। कभी न तो जिंदगी खत्म होती न ही मौत होती है, बस एक आत्मा घरों की तरह चोला बदल लेती है। ©aanchal mishra #poem #पोएट्री #poem #Poetry #Journey