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मुफलिसी आज भी उनके घर मे पनपती हैं। एक रात की तेज़

मुफलिसी आज भी उनके घर मे पनपती हैं।
एक रात की तेज़ बारिश में छत टप टप टपकती हैं।।
और जब भी बजती हैं गावँ में कहीं शहनाइयां।
उनकी बेटियां लाल जोड़े को तरसती हैं।।
मुफलिसी आज भी उनके घर मे पनपती हैं।
एक रात की तेज़ बारिश में छत टप टप टपकती हैं।।
और जब भी बजती हैं गावँ में कहीं शहनाइयां।
उनकी बेटियां लाल जोड़े को तरसती हैं।।