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सदियों की मदहोशी में ये होश ज़रा सा आया है खामोशी

सदियों की मदहोशी में ये होश ज़रा सा आया है
खामोशी चिल्ला कर बोली लफ़्ज़ों को बहुत सताया है
बातें अपनी उनसे बोलो जिनके सीधे दिल तक पहुंचें वो
सोचो सोचो कोई ऎसा क्या तुमने भी पाया है ॥
                                                            हृदयवाणी। श्रीकांत पचहरा  #FollowIfYouLike #poetry #shayari #poetrycommunity #writtenbyme
सदियों की मदहोशी में ये होश ज़रा सा आया है
खामोशी चिल्ला कर बोली लफ़्ज़ों को बहुत सताया है
बातें अपनी उनसे बोलो जिनके सीधे दिल तक पहुंचें वो
सोचो सोचो कोई ऎसा क्या तुमने भी पाया है ॥
                                                            हृदयवाणी। श्रीकांत पचहरा  #FollowIfYouLike #poetry #shayari #poetrycommunity #writtenbyme