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Bad Times कुछ ठीक सा नहीं है बस लग रहा है ठीक है

Bad Times कुछ ठीक सा नहीं है 
बस लग रहा है ठीक है
यूँ रात गय मेरा दबे पांव
कमरे की दहलीज तक जाना
यूँ चुप्पी से खड़े रहकर 
वापस लौट आना 
कुछ ठीक सा नही है
खिड़की को ऐसे ताड़ना
जैसे मोहित हो किसी के प्रेम में
ठंडी ज़मीन को ऐसे ताकना
जैसे बर्फीली पहाड़िया हो मन में
कुछ ठीक सा नहीं है
बिस्तर पर करवटे बदलना
मेरे चादर पर सिलवटें पड़ना
नम आंखों से तकिया भिगोना
सुबह तक उसका सूख जाना
कुछ ठीक सा नही है
यूँ शांत मन से ऊपर नीचे देखना
घड़ी की आवाज़ ध्यान से सुनना
फिर उस अंधेरे में परछाई खोजना
न मिलने पर खुद को ही कोसना
कुछ ठीक सा नही है
सब को ठीक हूँ कह देना 
रोने को हँसने में बदल लेना
ज़िन्दगी को नए मोड़ पर खड़ा करना
और फिर सब भूल कर शुरुआत करना 
कुछ ठीक से नही है।


शिखा विश्वकर्मा #kuchthiksanahihai
Bad Times कुछ ठीक सा नहीं है 
बस लग रहा है ठीक है
यूँ रात गय मेरा दबे पांव
कमरे की दहलीज तक जाना
यूँ चुप्पी से खड़े रहकर 
वापस लौट आना 
कुछ ठीक सा नही है
खिड़की को ऐसे ताड़ना
जैसे मोहित हो किसी के प्रेम में
ठंडी ज़मीन को ऐसे ताकना
जैसे बर्फीली पहाड़िया हो मन में
कुछ ठीक सा नहीं है
बिस्तर पर करवटे बदलना
मेरे चादर पर सिलवटें पड़ना
नम आंखों से तकिया भिगोना
सुबह तक उसका सूख जाना
कुछ ठीक सा नही है
यूँ शांत मन से ऊपर नीचे देखना
घड़ी की आवाज़ ध्यान से सुनना
फिर उस अंधेरे में परछाई खोजना
न मिलने पर खुद को ही कोसना
कुछ ठीक सा नही है
सब को ठीक हूँ कह देना 
रोने को हँसने में बदल लेना
ज़िन्दगी को नए मोड़ पर खड़ा करना
और फिर सब भूल कर शुरुआत करना 
कुछ ठीक से नही है।


शिखा विश्वकर्मा #kuchthiksanahihai