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ये तकलीफे मेरे घर से गुजरी हैं, तुम्हे क्या बताऊँ

ये तकलीफे मेरे घर से गुजरी हैं,
तुम्हे क्या बताऊँ किस कदर से गुजरी हैं,,

यूँ तो तुमने महज़ बाज़ार जाते देखा है मुझको,
लेकिन ये राहें मेरी तेरे शहर से गुजरी हैं,,

बड़ा रसूल चला हकीकत में फ़रेब का देखा,
मग़र ये इलतेज़ाये शामो पहर से गुजरी है

और कई मोहित हुए वजूद के खेल में आकर,
मेरी खामियाँ भी तो तुम्हारी नज़र से गुजरी हैं,
                                        Mohit•°●
                                       M.S.Writes."Ahi" #feather.Ghar....
ये तकलीफे मेरे घर से गुजरी हैं,
तुम्हे क्या बताऊँ किस कदर से गुजरी हैं,,

यूँ तो तुमने महज़ बाज़ार जाते देखा है मुझको,
लेकिन ये राहें मेरी तेरे शहर से गुजरी हैं,,

बड़ा रसूल चला हकीकत में फ़रेब का देखा,
मग़र ये इलतेज़ाये शामो पहर से गुजरी है

और कई मोहित हुए वजूद के खेल में आकर,
मेरी खामियाँ भी तो तुम्हारी नज़र से गुजरी हैं,
                                        Mohit•°●
                                       M.S.Writes."Ahi" #feather.Ghar....