मेरे दिल की आग को बुझा देती है बातें उनकी, जब दुनिया कहती है, तुम मर्द हो, रोते क्यूँ हो? हाँ, इसिलिए दर्द अपना बयां करता नहीं हूँ, मैं मर्द हूँ साहब, मैं कभी भी रोता नहीं हूँ। © इकराश़ **मर्द का एक दिवस ही होता है, वो भी बस नाम का। हँस लो ज़रा सा। क्या पता, अगले तीन सौ चौसठ दिन मौका मिले ना मिले। #YqBaba #YqDidi #ikraashnaama #HappyInternationalMensDay