सहचर वर्णों की माला के, ताल लये मन हरते हैं । वीणा की वाणी सुमधुर, सुन मनु नये अर्थ विचरते हैं ।। हर्ष से सजले नयन, प्रच कमलिनी खिल मध्य में । कुण्ड जल क्षिति भनन, भानु जो छजे नभ गंग में ।। मूर्धनी धन धान्य विद्या, दीप्ति वन्दे अस्तुति । चरण रज चिर चितन सेवती, अस्ति मात सरस्वती ।। An elaboration to.. मनहर वीणा, सुमधुर लयताल । वर्ण सहचर, काव्य जंघाल ।। deepti tuli #saraswati #alokstates #yqbaba #yqdidi #कविता #devotion #yqmonk #inspirationalquotes