तन्हाई वो जिल्लत है जिसे में अब सह नहीं सकता, आ जाओ मेरे पास तुम अब बिन तेरे रह नहीं सकता, ये बंदिश-ए-जमाने को हमे अब तोड़ देना है, क्युकी, कहानी-ए-विरह का दर्द अब यूं ही कह नहीं सकता। तेरे विरह(अभाव) का दर्द...... #तन्हाई #जिल्लत #बंदिश_ए_जमाने #कहानी_ए_विरह #दर्द #राही