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सजती थी जहां, हर शाम सितारों की महफ़िल, हाथों में

सजती थी जहां, हर शाम सितारों की महफ़िल,
हाथों में जाम और हुस्न ओ नज़ारों की महफिल।

वक्त की आंधी ऐसी चली एक दिन, कि  मिट्टी में 
मिला के छोड़ दिया सब कुछ, न रहे गधे के सींग।

हक़ीक़त खुल गई सबकी, निकले मतलब के
 यार थे जितने भी, एक-एक करके सब चले गए।

©Anuj Ray
  #एक-एक करके सब चले गए"
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Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
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#एक-एक करके सब चले गए" #ज़िन्दगी

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