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⭐KK⭐🙏🙏🙏 उनकी गुल्लक और मैं इस मूर्ति के नीचे ए

⭐KK⭐🙏🙏🙏
उनकी गुल्लक
और मैं

इस मूर्ति के नीचे
एक सुराख है
जिसमें मैं प्रतिदिन
100/ रखता हूं
वर्षों पहले 
10 ही रखता था
उसी से जुड़ा है ये वाकया Dedicated to late Sh. Bhardwaj Sir🙏🙏
उलझनें अक्सर कुछ सुझाव ले आती हैं कि उलझन जब सुलझती है तो स्पष्ट समझ आता है कि उलझन  आखिर आई ही क्यों।
मुझे नहीं पता आपमें से कितने बच्चे ये जानते हैं कि एक समय में 10 रुपए बहुत वैल्यू रखते थे। un दस रुपए से भरपेट खाना खाया जाता था ये बात उन दिनों की है।
मेरा दवा का व्यवसाय है तो कभी कभार मेरे मन को लगता है यार ये सच में गरीब है दवा के पैसे भी नहीं होंगे पूरे तो एक आध को मैं काम पैसे या बिन पैसे लिए छोड़ देता।
एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि अगर रोज़ मैं कुछ बचा के अलग से रख दूं तो अपना ये शौक इस फंड से पूरा कर सकता हूं।कहते हैं ना अतिउत्साह में कोई निर्णय  नहीं लेना चाहिए,
वही हुआ उत्साह उत्साह में मैंने निर्णय ले लिया की जो भी पहला कस्टमर होगा उसके द्वारा बिक्री की राशि अलग से रख दूंगा, पहले दिन 10 रुपए की बिक्री थी सहर्ष रख दी, दूसरे दिन 30 रुपए का पहला ग्राहक था वो भी हसी खुशी रख दिए।
कुछ दिन ऐसा चला चलता रहा, एक दिन पहला ग्राहक था 375 रुपए का=...मेरी सिटी पिटी गुम 😂 मन भ्रमित हो गया इतनी बड़ी राशि अलग रख दूं?
पगला गए हो क्या?
⭐KK⭐🙏🙏🙏
उनकी गुल्लक
और मैं

इस मूर्ति के नीचे
एक सुराख है
जिसमें मैं प्रतिदिन
100/ रखता हूं
वर्षों पहले 
10 ही रखता था
उसी से जुड़ा है ये वाकया Dedicated to late Sh. Bhardwaj Sir🙏🙏
उलझनें अक्सर कुछ सुझाव ले आती हैं कि उलझन जब सुलझती है तो स्पष्ट समझ आता है कि उलझन  आखिर आई ही क्यों।
मुझे नहीं पता आपमें से कितने बच्चे ये जानते हैं कि एक समय में 10 रुपए बहुत वैल्यू रखते थे। un दस रुपए से भरपेट खाना खाया जाता था ये बात उन दिनों की है।
मेरा दवा का व्यवसाय है तो कभी कभार मेरे मन को लगता है यार ये सच में गरीब है दवा के पैसे भी नहीं होंगे पूरे तो एक आध को मैं काम पैसे या बिन पैसे लिए छोड़ देता।
एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि अगर रोज़ मैं कुछ बचा के अलग से रख दूं तो अपना ये शौक इस फंड से पूरा कर सकता हूं।कहते हैं ना अतिउत्साह में कोई निर्णय  नहीं लेना चाहिए,
वही हुआ उत्साह उत्साह में मैंने निर्णय ले लिया की जो भी पहला कस्टमर होगा उसके द्वारा बिक्री की राशि अलग से रख दूंगा, पहले दिन 10 रुपए की बिक्री थी सहर्ष रख दी, दूसरे दिन 30 रुपए का पहला ग्राहक था वो भी हसी खुशी रख दिए।
कुछ दिन ऐसा चला चलता रहा, एक दिन पहला ग्राहक था 375 रुपए का=...मेरी सिटी पिटी गुम 😂 मन भ्रमित हो गया इतनी बड़ी राशि अलग रख दूं?
पगला गए हो क्या?

Dedicated to late Sh. Bhardwaj Sir🙏🙏 उलझनें अक्सर कुछ सुझाव ले आती हैं कि उलझन जब सुलझती है तो स्पष्ट समझ आता है कि उलझन आखिर आई ही क्यों। मुझे नहीं पता आपमें से कितने बच्चे ये जानते हैं कि एक समय में 10 रुपए बहुत वैल्यू रखते थे। un दस रुपए से भरपेट खाना खाया जाता था ये बात उन दिनों की है। मेरा दवा का व्यवसाय है तो कभी कभार मेरे मन को लगता है यार ये सच में गरीब है दवा के पैसे भी नहीं होंगे पूरे तो एक आध को मैं काम पैसे या बिन पैसे लिए छोड़ देता। एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि अगर रोज़ मैं कुछ बचा के अलग से रख दूं तो अपना ये शौक इस फंड से पूरा कर सकता हूं।कहते हैं ना अतिउत्साह में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, वही हुआ उत्साह उत्साह में मैंने निर्णय ले लिया की जो भी पहला कस्टमर होगा उसके द्वारा बिक्री की राशि अलग से रख दूंगा, पहले दिन 10 रुपए की बिक्री थी सहर्ष रख दी, दूसरे दिन 30 रुपए का पहला ग्राहक था वो भी हसी खुशी रख दिए। कुछ दिन ऐसा चला चलता रहा, एक दिन पहला ग्राहक था 375 रुपए का=...मेरी सिटी पिटी गुम 😂 मन भ्रमित हो गया इतनी बड़ी राशि अलग रख दूं? पगला गए हो क्या? #yqकुलभूषणदीप