इतना तो मेरा हक़ बनता था, इज़हारे-मोहब्बत करने का कुछ तुम्हारी बातें सुनने का, कुछ अपनी बातें कहने का। फुरक़त के अंधेरे तूफाँ मे, दिल का सफीना खाली है, अपना समझ कर आ जाना, जब मन हो जाए रहने का। अपनी वफाओं का सिक्का, चला न इश्क़ की मण्डी मे, प्यार की बाजी वो जीता,जिसके पास था सिक्का सोने का। जब से मोहब्बत हुइ तुम से , हम अपना ठिकाना भूल गए, जब तू ही नहीं तो क्या मतलब, ये दुनियाँ अपनी होने का। कहने को यूँ तो सब अपने हैं, बड़े सुहाने सपने हैं, क़ाश कोई करता वादा, साथ मे जीने- मरने का। #मेराहक़बनताथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi