'बापू तुम्हारा धुन' राष्ट्र पिता आपकी शाश्वत आत्मा रचा,बसा महान भारतअंतर्निहित विभिन्नता में एकता लिए स्वदेशी लेखक आपका धर्म,जीवन शैली अविभाज्य अहिंसा दे,आप योगी सविनय अवज्ञाअस्त्र दे,अनुगामी विधि की गति कर,किया मोहभंग हुआ रहस्योद्घाटन,बना आंदोलन हर पहल,हर एक पहलू,सघन स्वतंत्रता का थाअद्भुत,जतन थी,जहाँ वीरों की कतार भरी एक तुम भी थे,ले सहज बड़ी योद्धा कट मरने को,थे तैयार सबल बाँहों से,लेने अधिकार संत ने कहा,सत्ता हो नामंजूर मेरी भारती,मेरा मत,हटो दूर प्रारंभ हुआ भ्र्मन,नील जबरन भाँपा तत्काल परिवेश भर मन हो संत लौटे,त्यागा सुख वैभव ठाना तब सविनय अवज्ञा पुनः असहयोग प्रथम था चरमराया मतभेद हुआ,न मरहम लगाया अहिंसा,चौरीचौरा से न हटाया संत निंदाकरअसहयोग उठाया विस्मृत अहिंसा का राह भाया विभिन्नता में, प्रभावपूर्ण पाया हाहाकार में था जब पूरा विश्व धैर्य में असंगठित न धधकाया दशक सर्जनात्मक,सक्रिय रहे नीति पूर्वक एकजुटता बढ़ाया हर संग्रामआयोजन,अशेष की जन की अवधारणा,अमात्र की ।। स्वतंत्रता संग्राम और बापू,एक टीका !! 'बापू तुम्हारा धुन' राष्ट्र पिता आपकी शाश्वत आत्मा रचा,बसा महान भारतअंतर्निहित विभिन्नता में एकता लिए स्वदेशी