शीर्षक वक्त तरु का
विधा स्वरचित शायरीनुमा
मन के भाव....
जाने क्यों आज कमरे में बैठै बैठे मन व्यथित हो गया जाने क्यों वो
आशियाना पुराना याद आ गया ,
जहां एक हुआ करती थी ढे़रों खुशियां न कोई रोग न कोई क्लेश
बस एक प्यारा सा आशियाना हुआ करता था,
सुलझा सा माहौल हुआ करता था वो आशियाना पुराना याद आता है #Life#Trending#poetrycommunity#indianwriter#Emotional#nojotohindi#tarukikalam25