#कैसे_आख़िर_कैसे#एक_विचार#hindi_poetry#Nojotovoice
कैसे.....आखिर कैसे....यही वो सवाल इस ज़हन में हर ज़हन की तरह बस्ता है। कहानियाँ नहीं हैं या कोशिशों में कमी है। अधूरी आरज़ू है या अस्तित्व की खोज है....!!! अर्धनंग विचार को पेश करने में शर्म है या विषैली सोच का प्रचार करने का खौफ़....!!! आखिर कैसे मैं खुद को ये बात समझा दूँ.....कि आज जब सियाह रात में, तुम फिर अकेले होगे और दिल के उस कमरे में, दीवान आज भी तुम्हारी ही खुवाइशों का बिलग-२ के रो रहा होगा तो चौखट के उस पार तमाशा पूरे जहाँ के सामने मशह