तेरी इक़ ख़बर का तलबगार हूँ इंतेज़ार में हूँ कोरा अख़बार हूँ . तन्हाइयों के माईने न पूछ मुझसे तू आईने के बरक्स मैं ख़ुद का यार हूँ . तेरे इक़रार इनकार से क्या लेना मुझे तेरे इश्क़ में हूँ आदत से लाचार हूँ . बिन मोल बिकूं मैं ही खरीदार हूँ शहर में ऐसा अकेला ही बाज़ार हूँ . तुम गिना चुके शिकवे तो चले जाओ क़ीमती मगर बेभाव का कारोबार हूँ . धीर का क्या चल देगा कभी भी कहीं भी मैं बादल हूँ सूखों की बारिश का आसार हूँ . आसार