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बचपन भी क्या खास था, सारे दुनियां से मैं अनजान था,

बचपन भी क्या खास था, सारे दुनियां से मैं अनजान था, बस मां पिताजी थे मेरी दुनियां, सारे गमों से मैं अनजान था।

ना होती थी फिकर किसी बात की ना कोई डर सताता था, हौसला था मां मेरी, और कंधे पे पिता का हाथ था, बचपन का वो वक्त था।

©Ranjit Dev
  #HINDI_SAYARI